द लास्ट लेसन का सारांश | The Last Lesson Chapter1 Summary in Hindi

NCERT Based Flamingo Testbook of Class XII Students for English Course. Our post Provides you  Explanation or Summary of Chapter 1  The Last Lesson  in Hindi Launguage because its easy to understand 
Full Chapter and it was written by Alphonso Daudet. We also provide pdf file.

BookFlamingo (English)
ChapterThe Last Lesson
WritterAlphonso Daudet
BoardCbse

NCERT Flamingo Class 12 Chapter 1 Summary of the Last Lesson in Hindi

1. हिन्दी अनुवाद- उस सुबह मैं स्कूल के लिए बहुत देरी से रवाना हुआ और मुझे डाँट पड़ने का बहुत अधिक डर था, मैं विशेष रूप से इसलिए क्योंकि एम. हैमल कह चुके थे कि वे हमसे Participles के विषय में प्रश्न पूछेंगे, तथा मुझे इनके बारे में प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं था। एक क्षण के लिए मैंने भाग जाने और घर से बाहर दिन बिताने के बारे में सोचा दिन बहुतगर्म एवं चमकीला था। जंगल के छोर पर कर रहे थे। यह सब Participles के नियमों से कहीं ज्यादा मनमोहक था किन्तु मुझमें विरोध करने की शक्ति थी और मैं तेजी पक्षी चहचहा रहे थे और आरा मशीन के पीछे खुले खेतों में प्रशिया के सैनिक अभ्यास कर रहे थे यह सब पार्टिकल्स के नियमों से कहीं ज्यादा मनमोहक किंतु मुझ में विरोध करने की शक्ति थी और मैं तेजी से स्कूल के लिए चल पड़ा।


2. हिन्दी अनुवाद-जब मैं सभागार के पास से गुजरा तो सूचनापट्ट के सामने भीड़ थी। पिछले दो वर्ष से हमारे सारे बुरे समाचार यहीं से आए थे-हारे हुए युद्धों के समाचार, सेना में भर्ती के कानूनी आदेश संबंधी समाचार, सेना अधिकारी के आदेशों से संबंधी समाचार- और मैंने बिना रूके अपने मन ही मन में सोचा “अब क्या बात हो सकती है?” फिर जैसे ही मैं अपनी पूरी तेजी के साथ चला, वाक्टर नामक लोहार, जो वहाँ अपने प्रशिक्षु के साथ समाचार पढ़ रहा था, ने पीछे से पुकार कर मुझसे कहा “इतनी जल्दी मत कर लड़के, स्कूल पहुँचने के लिए तुम्हारे पास ढेर सारा समय है।

3. हिन्दी अनुवाद-मुझे लगा वह मेरा मजाक उड़ा रहा था और में बुरी तरह हॉफता हुआ एम. हैमल के छोटे बगीचे में पहुंचा। आमतौर पर, जब स्कूल शुरू होता था, अफरा-तफरी या शोरगुल होता था जिसे बाहर गली में सुना जा सकता था, • मेजों का खोला जाना और बन्द किया जाना बेहतर समझने के लिए कानों पर हाथ रखकर समवेत स्वर में पाठों का जोर-जोर से दोहराना और अध्यापक के विशाल पैमाने का मेज से टकराना परंतु अब सब कुछ इतना शांत था मुझे भरोसा था कि होहल्ला के बीच में बिना किसी को दिखाई पड़े अपनी मेज पर पहुँच जाऊँगा परन्तु उस दिन हर चीज को सचमुच रविवार की सुबह जितना ही शांत होना था खिड़की में से मैंने अपने सहपाठियों को देखा, वे पहले ही अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे और एम. हैमल अपने भयानक डण्डे को बगल में दबाए इधर से उधर घूम रहे थे। मुझे दरवाजा खोलना पड़ा और सबके सामने अन्दर जाना पड़ा आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं कितना शर्मिन्दा था और कितना डरा हुआ था।


4. हिन्दी अनुवाद – परंतु कुछ भी ऐसा नहीं हुआ, एम. हैमल ने मुझे देखा और बड़ी दयालुतापूर्वक कहा, “नन्हें फ्रेंज जल्दी से अपनी जगह पर जाओ। हम तुम्हारे बिना ही शुरू करने वाले थे।” मैं बेंच से कूद कर अपनी डेस्क पर बैठ गया। तब तक मैंने यह नहीं देखा हमारे अध्यापक ने सुंदर हरा कोट, अपनी झालरदार शर्ट और काली-छोटी सिल्क की टोपी पहन रखी थी जिस पर कशीदाकारी की गई थी, और जिन्हें वे निरीक्षण तथा पुरस्कार वितरण के दिनों के अलावा कभी नहीं पहनते थे, इसके अलावा पूरा विद्यालय बहुत ही विचित्र तथा गंभीर लग रहा था। किन्तु जिस चीज ने मुझे सर्वाधिक चकित किया वह यह थी कि सदा खाली रहने वाली पीछे की बेंचों पर गाँव के लोग हमारे तरह ही चुपचाप बैठे थे अपना तिकोना टोप पहने बूढ़ा, भूतपूर्व मेयर भूतपूर्व पोस्टमास्टर और इनके अलावा कई अन्य। सभी दुःखी दिखाई दे रहे थे और बूढ़ा व्यक्ति एक पुरानी बालपोथी लाया था जिसके किनारे अंगूठों से पेज उलटने के कारण गन्दे हो रहे थे और उसने इसे अपने घुटनों तक खुला रखा था और उसका बड़ा चश्मा पृष्ठों पर पड़ा था।

5. हिन्दी अनुवाद-जबकि मैं इस सब पर विचार कर ही रहा था, एम. हैमल अपनी कुर्सी पर बैठ गए, और उसी गंभीरऔर विनम्र अंदाज में जिसका प्रयोग उन्होंने मेरे लिए किया था, बोले, मेरे बच्चों, यह अंतिम पाठ है जो मैं तुम्हें पढ़ाऊँगा।” अल्सास और लॉरेन के स्कूलों में केवल जर्मन पढ़ाए जाने का आदेश बर्लिन से आ गया है। नए अध्यापक कल आ जाएंगे। यह आपका फ्रेंच भाषा का अंतिम पाठ है। मैं चाहता हूँ आप बहुत एकाप्र रहें।

ये शब्द मेरे लिए बिजली की कड़कड़ाहट की तरह थे हाय! अभागे लोग, सभागार पर उन्होंने यही लगा दिया था। फ्रेंच भाषा का मेरा अंतिम पाठ! अरे! मैं मुश्किल से ही लिखना जान पाया था, अब मैं आगे कभी नहीं सीख पाऊँगा। वहीं और उसी के दुःखी हो रहा था। मेरी पुस्तकें जो थोड़ी देर पहले ले जाने में भारी और बड़ी समस्या लग रही थी, मेरी व्याकरण और संतों का इतिहास अब पुराने मित्र जैसी लग रही थी जिन्हें में त्याग नहीं सकता था और एम. हैमल के बारे में भी इस विचार ने कि वे जा रहे थे, कि मैं अब उनसे फिर कभी नहीं मिल सकूँगा, मुझे उनके डण्डे के बारे में और वे कितने बदमिजाज थे, इस बारे में सब कुछ भुला दिया।

6. हिन्दी अनुवाद-बेचारा आदमी! (यहाँ बेचारे गुरुजी) इसी अन्तिम पाठ के सम्मान में उन्होंने रविवारीय सुन्दर कपड़े पहने थे और अब मैं समझ गया कि गाँव के बुजुर्ग लोग कमरे में पीछे क्यों बैठे थे। इसलिए कि उन्हें भी दुःख था कि वे और ज्यादा स्कूल नहीं गये थे। हमारे अध्यापक की चालीस वर्ष की निष्ठापूर्ण सेवा के लिए धन्यवाद देने और जो देश अब उनका नहीं था उस देश को सम्मान प्रदर्शित करने का यह उनका अपना तरीका था।


7. हिन्दी अनुवाद-जब मैं इन्हीं सब बातों के बारे में सोच रहा था तब मैंने अपने नाम को पुकारा जाते हुए सुना। अब बोलने की मेरी बारी थी। बिना किसी गलती के Participle के भयानक नियम को पूरा-पूरा जोर-जोर से और स्पष्ट सुनाने में समर्थ होने के लिए मैं क्या कुछ नहीं करने को तैयार था? (अर्थात् मैं Participle के कठिन नियमों को जोर से और स्पष्ट रूप से बिना किसी त्रुटि के पढ़ने को बहुत इच्छुक था)। किन्तु मैं पहले शब्दों पर ही उलझ गया और मेज पकड़कर खड़ा रह गया, मेरा दिल धड़क रहा था और मुझमें ऊपर की ओर देखने की हिम्मत नहीं थी।


8. हिन्दी अनुवाद- मैंने एम. हैमल को मुझसे कहते हुए सुना- मैं तुम्हे डाँटूगा नहीं, फ्रेंज, तुम्हें अवश्य ही काफी बुरा महसूस हो रहा होगा। देखो ऐसा है। प्रतिदिन हमने स्वयं से कहा है “अरे! मेरे पास काफी समय है। मैं इसे कल सीख लूंगा और अब तुम देख रहे हो कि हम कहाँ गए हैं। हाय अल्सास के साथ यही बड़ी परेशानी है, वह सीखने को कल के लिए टाल देती है। अब बाहर के लोगों के पास आपसे कहने का अधिकार होगा, ऐसा कैसे है, तुम फ्रांसीसी होने का नाटक भी करते हो और फिर भी तुम न तो अपनी भाषा लिख सकते और न ही बोल सकते हो?” किंतु नन्हें फ्रेंज, तुम्हीं सबसे बुरे नहीं हो। हम सब के पास स्वयं को दोष देने के पर्याप्त कारण हैं।

“तुम्हारे माता-पिता तुम्हें शिक्षा दिलवाने के प्रति पर्याप्त उत्सुक नहीं थे। वे तुम्हें किसी फार्म या आरा मशीन पर काम पर लगाना ज्यादा पसंद करते थे ताकि थोड़ा-सा अधिक धन मिल सके और मैं? मैं भी दोषी हूँ। क्या मैंने तुम्हें पाठ सिखाने के बजाय अक्सर अपने फूलों में पानी देने के लिए नहीं भेजा है और जब मैं मछली पकड़ने जाना चाहता था तो क्या मैंने तुम्हारी छुट्टी नहीं की?”



9. हिन्दी अनुवाद-फिर एक के बाद दूसरी बात करते हुए एम. हैमल फ्रांसीसी भाषा के बारे में बात करते रहे, यह कहते हुए कि यह संसार की सबसे सुंदर भाषा है-सर्वाधिक स्पष्ट, सर्वाधिक तर्कसंगत, और यह कि इसे हमें अपने बीच सुरक्षित रखना है और उसे कभी भी नहीं भूलना है क्योंकि जब किसी देश के लोग गुलाम होते हैं तो जब तक वे अपनी भाषा से मजबूती से बँधे रहते हैं तो यह ऐसा ही है मानो उनकी जेल की चाबी उनके पास है। फिर उन्होंने व्याकरण की एक किताब खोली और हमारा पाठ हमें पढ़कर सुनाया। मैं यह देखकर चकित था कि मुझे यह कितनी अच्छी तरह समझ आ रहा था। उन्होंने जो कुछ कहा वह बहुत-बहुत सरल लगा! मैं यह भी सोचता हूँ कि मैंने कभी इतने ध्यान से नहीं सुना था, और उन्होंने हर चीज को धैर्यपूर्वक कभी इतना अधिक स्पष्ट नहीं किया था। ऐसा लग रहा था कि बेचारा जाने से पहले वह जो कुछ जानता था उस सबको हमें दे देना चाहता था और इस सारी जानकारी को एक ही बार में हमारी दिमाग में डाल देना चाहता था।


10.हिन्दी अनुवाद-व्याकरण के बाद हमारा लेखन का पाठ हुआ। उस दिन एम. हैमल के पास हमारे लिए नई कापियाँ थीं जिन पर सुंदर वक्राकार शैली के हस्तलेख में लिखा गया था— फ्रांस, अल्सास, फ्रांस, अल्सास। वे ऐसी लग रही थीं जैसे कि विद्यालय के उस कक्ष में सब ओर छोटे-छोटे झण्डे लहरा रहे हों जो हमारी मेजों के ऊपर छड़ों से लटका दिए हों। काश आप सभी देखते कि सभी किस तरह अपने काम में जुट गए, और सब कुछ कितना शांत था! एकमात्र ध्वनि कागज पर पेनों की रगड़ की आ रही थी। एक बार कुछ भृंग (भँवरा) उड़कर अंदर आ गए परंतु किसी ने उन पर ध्यान भी नहीं दिया, सबसे छोटे बच्चों ने भी ध्यान नहीं दिया जो पूरे समय मछली पकड़ने के काँटों का चित्र बनाने में लीन थे, मानो वह भी फ्रांसीसी भाषा थी। छत पर कबूतर बहुत धीरे धीरे गुटरगूं कर रहे थे और मैंने मन में सोचा, “क्या वे इन्हें भी जर्मन भाषा में गाने के लिए मजबूर करेंगे, “कबूतरों को भी?”



11. हिन्दी अनुवाद-जब कभी मैंने लिखते हुए ऊपर देखा तो मैंने एम. हैमल को अपनी कुर्सी पर स्थिर बैठे हुए देखा, वे कभी किसी चीज को तो कभी किसी और चीज को घूर रहे थे, मानो वे अपने मस्तिष्क में उस छोटे स्कूल कक्ष की प्रत्येक वस्तु को ठीक उसी तरह अंकित कर लेना चाहते थे जैसा कि वे दिख रहीं थीं। जरा सोचो! चालीस वर्ष से वे इसी स्थान पर थे, उनका बगीचा, उनकी खिड़की के बाहर था और उनकी कक्षा उनके सामने, बिल्कुल ऐसे ही! केवल मेज और कुर्सियाँ घिस घिस कर चिकनी हो गयी थीं बगीचे में अखरोट के पेड़ अपेक्षाकृत लम्बे हो गये थे तथा वह होपवाइन (एक प्रकार की बेल) जिसे उन्होंने स्वयं अपने हाथों से लगाया था, वह खिड़की से लिपटते हुए छत तक पहुँच गई थी। इस सबको छोड़ने से और ऊपर छत पर समान को अपने संदूकों में पैकिंग करते हुए अपनी बहन के चलने की आवाज सुनकर इस बेचारे (अध्यापक) का दिल किस तरह टूट रहा होगा! क्योंकि अगले दिन ही उन्हें देश छोड़कर जाना था।


12. हिन्दी अनुवाद किन्तु उनमें हर पाठ को बिल्कुल अन्त तक सुनने का साहस था। लेखन के पश्चात, हमारा इतिहास का पाठ हुआ और फिर छोटे बच्चों ने जोर-जोर से अपने बा, बे, बी, बो, बू बोले। कमरे के पिछले छोर पर बूढ़े Hauser ने अपना चश्मा पहन लिया था, अपनी पुस्तक को दोनों हाथों में पकड़कर वह उनके साथ बा, बे, बी आदि बोल रहा था। आप देख सकते थे कि वह भी रो रहा था, भावुकतावश उसकी आवाज काँप रही थी और उसे सुनना इतना हास्यास्पद था कि हम सब हँसना और रोना चाहते थे। ओह, यह अन्तिम पाठ मुझे कितनी अच्छी तरह याद है।

अचानक चर्च की घड़ी ने बारह बजाये और फिर Angelus नामक प्रार्थना की घण्टी बजी। उसी समय ड्रिल से लौटकर
आते हुए प्रशिया के सैनिकों की तुरहियाँ हमारी खिड़कियाँ के नीचे बजती सुनाई दीं। एम. हैमल अपनी कुर्सी से खड़े हुए, बहुत पीले पड़े हुए थे। मैंने उन्हें कभी इतना आत्मविश्वासी नहीं देखा था।

“मित्रों” उन्होंने कहा “मैं-मैं” किसी बात ने उनका गला अवरुद्ध कर दिया। वे अपनी बात जारी न रख सके। फिर वे श्यामपट्ट की ओर मुड़े, चॉक का एक टुकड़ा उठाया और अपनी पूरी ताकत से उन्होंने जितने बड़े अक्षरों में वे लिख सकते थे लिखा- फ्रान्स जिन्दाबाद।” फिर वे रूक गये और अपना सिर दीवार के सहारे झुका लिया और बिना कोई शब्द बोले उन्होंने अपने हाथ से हमारी तरफ इशारा किया “स्कूल की छुट्टी हो गई—आप जा सकते हैं।”

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