NCERT Solution:- Mere Bachapan Ke Din Class 9th Chapter 7 of Kshitij Part 1 Book has been developed for Hindi Course. We are going to show Question and Answer with Pdf Files. Our aim to help all students for getting more marks in exams.
Book: | क्षितिज भाग 1 हिंदी |
Chapter: | मेरे बचपन के दिन |
Writter: | महादेवी वर्मा |
Class: | 9th |
Board: | Cbse |
Mere Bachapan Ke Din Class 9th Hindi Question and Answer With Pdf Files
प्रश्न 1: “मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।” इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि-
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी?
उत्तर: उस समय लड़कियों को अभिशाप समझा जाता था। लड़की के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता था।
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर: आज समाज में लड़कियों को एक विशेष स्थान प्राप्त हैं। उन्हें लड़कों के समान ही पाला-पौषा और शिक्षित किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्र में बराबर का अधिकार मिला हुआ है।
प्रश्न 2: लेखिका उर्दू-फारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर: लेखिका के परिवार में उनके बाबा ही फारसी और उर्दू जानते थे। वे चाहते थे कि लेखिका भी उर्दू-फारसी सीख ले। परंतु लेखिका की न तो उसमें रूचि थी और न ही उन्हें यह लगा कि वे इसे सीख पाएंगी। एक दिन मौलवी साहब पढ़ाने आए तो वे चारपाई के नीचे जा छीपी। उसके बाद वे नहीं आए। इस तरह लेखिका उर्दू-फारसी नहीं सीख पाई।
प्रश्न 3: लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर: लेखिका महादेवी वर्मा की माँ हिंदी बोलती थी। उनका पूजा-पाठ में विश्वास था। वे संस्कृत भाषा भी जानती थी। गीता पढ़ने में उनकी विशेष रुचि थी। वे लिखती और पद गाती थी। भीरा के पदों में उन्हें विशेष रुचि थी।
प्रश्न 4: जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर: लेखिका के परिवार के जवारा के नवाब साहब के साथ पारिवारिक सम्बन्ध थे। नवाब साहब की बेगम साहिबा को वे ताई साहिबा कहते थे और उनके बच्चे लेखिका की माँ को चची जान कहते थे। सभी बच्चों के जन्म दिन एक-दूसरे के घरों में मनाए जाते थे। राखी के दिन वे अपने लड़के को तब तक कुछ भी खाने को नहीं देती थी जब तक वे राखी न बाँध आएँ मुहर्रम पर सभी बच्चों के हरे कपड़े बनते थे। लेखिका का जब छोक भाई पैदा हुआ तब वे बच्चे को पहनाने के लिए कपड़े लाई और उन्होंने अपनी तरफ से बच्चे का नाम मनमोहन रखा। उस समय के वातावरण में दोनों परिवारों में बहुत निकटता थी। लेकिन आज के स्वार्थ और बेईमानी से युक्त वातावरण को देखते हुए उन दोनों के पारिवारिक सम्बन्ध स्वप्न से लगते हैं।
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