NCERT Solutions:- आरोह भाग 2 विषय कक्षा 12 के पाठ्यपुस्तक का पहला पाठ जिसका नाम “• कवितावली (उत्तर कांड से),• लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप” है जिसे भारत देश के महान काव्य लेखक तुलसीनाथ ने लिखा था। इस पाठ में दिये गए सभी प्रश्न बहोत ही सरल और आसान है जिसे Class 12 का कोई भी बच्चा आसानी से याद रख सकता है। Tulsidas Chapter 8 के Question & Answers को नीचे लिखा गया है जिसे आप अपने NoteBook कॉपी में लिख सकते है।
पुस्तक: | आरोह भाग दो |
कक्षा: | 12 |
पाठ: | 8 |
शीर्षक: | • कवितावली (उत्तर कांड से), • लक्ष्मण-मूच्छ और राम का विलाप |
लेखक: | तुलसीदास |
Ncert Aaroh Book Chapter 8 Class 12 Questions & Answers Solutions
Question1. कवितावली के उद्धृत छदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी
समझ है।
उत्तर- कवितावली के प्रस्तुत कवित्त में तुलसी जी ने अपने युग की आर्थिक विषमता व सभी वर्गों पर होने वाले आर्थिक अत्याचार का वर्णन किया है। उन्होंने श्रम जीवी, किसान, बनिया, भिखारी, दास, नौकर, जादूगर, शिकारी आदि सभी की आर्थिक रूप से दयनीय स्थिति का वर्णन किया है। ये सभी वर्ग अपनी आजीविका कमाने के लिए चिंतित थे तथा इन सब का मुगल काल में मुगलों द्वारा भरपूर शोषण हो रहा था। इसलिए हम कह सकते हैं कि उन्हें अपने समाज की आर्थिक विषमता की अच्छी जानकारी थी।
Question2. पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए। समय
उत्तर- तुलसी द्वारा जो पेट की आग को बुझाने का मार्ग बतलाया गया है वही ईश्वर (राम) भक्ति केवल काव्य सत्य ही नहीं बल्कि आज व किसी भी युग का वास्तविक सत्य भी है। मनुष्य की पेट की आग अर्थात उसको इच्छाएँ, तृष्णाएँ इतनी बढ़ चुकी है कि इन पर नियन्त्रण प्रभु स्मरण द्वारा किया जा सकता है। आज के युग के मानव हृदय में आजीविका कमाने के लिए तनाव, चिंता, तृष्णाएँ भरी पड़ी हैं लेकिन व्यक्ति अगर संतोष व ईश्वर पर विश्वास कर उसको भक्ति द्वारा जीवन यापन करें तो अवश्य ही इस पेट की आग का शमन करना संभव है।
Question3. तुलसी ने यह कहने की जरूरत क्यों समझी? पूत कही, अवधूत कहाँ, राजपूत कहाँ, जोलहा कही कोऊ / काहू की बेटा से बेटी न ब्याहब, काहू की जाति विगार न सोऊ। इस सवैया में काह के बेटा सों बेटी न व्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता?
उत्तर- इन पंक्तियों में तुलसी जी ने ऐसा एक सच्चे संन्यासी एक संत का परिचय देते हुए कहा है कि एक भक्त या संत को सांसारिक या किसी भी बात का कोई डर नहीं होता है उसे सांसारिक लोग कुछ भी कहे पर वह तो सिर्फ ईश्वर भक्ति में लीन रहता है। इसलिए तुलसी ने अपने आपको इन सांसारिक मोह से दूर करते हुए ऐसा कहा है। प्रथम पंक्तियों में तुलसी जी अपने बेटे का किसी की बेटी से विवाह करने का विचार प्रस्तुत किया जो कि एक सरल कार्य है। लेकिन आधुनिक सन्दर्भ में बेटी के विवाह की बात आए तो मानव हृदय में हीनता व असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है। लड़के की शादी में गर्व व लेने की भावना आती है पर लड़की की शादी में भय व दहेज देने की भावना व्याप्त है। आधुनिक समाज में जो लड़के व लड़की में अन्तर पाया जाता है उसकी तरफ ये दोना पंक्तियाँ संकेत करती है।
Question4. धूत कही.. वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीडरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत है?
उत्तर- इस कवित्त की तीसरी पंक्ति में तुलसी जी ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका दूसरा नाम ‘राम का दास है। इस की भक्ति को ही अपने जीवन का लक्ष्य मानते हैं। उनकी रुचि राम की भक्ति में ही है। इसलिए डी उन्हें काई सरे किसी भी नाम से पुकारे या फिर सांसारिक मोह में फसाना चाहे वह उसमें न फंस कर राम भक्ति का ही श्रेष्ठ मानते है। भक्त के दास्य भाव हृदय से राम भक्ति करके वो अपनी सच्ची भक्ति का परिचय देते हैं। इसलिए हम कह वो एक स्वाभिमानी, सच्चे भक्त है।
Question5. व्याख्या करें
क) मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेह विपिन हिम आतप बाता।
ख) जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहि ओहू॥ जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर होना। अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जो जड़ दैव जिआर्य मोही॥
ग) माँगि के खैबो, मसीत को सोइबो, लैबो को एक न दैबो को दोऊ।।
घ) ऊंचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट को ही पचत, बेचत बेटा-बेटकी॥ उत्तर- स्वयं करें।
Question6. भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप मे रचा है। क्या आप इस से सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर- तुलसीदास जी ने ‘रामचरित मानस’ के द्वारा राम जी के अवतार व आदर्श मर्यादापूर्ण मानव रूप का वर्णन किया है। लक्ष्मण-मूर्च्छा पर राम का विलाप एक भावात्मक मार्मिक दृश्य का प्रस्तुतिकरण तुलसी जी ने किया है। राम की व्याकुल स्थिति, उनका भ्रातृ प्रेम, लक्ष्मण की विभिन्न स्मृतियों को प्रकट करना पत्नी से अधिक महत्त्व देना. ये सब बातें स भाई को मानवीय अनुभूति को प्रदर्शित करने वाली है। इस स्थिति में श्रीराम जी नर लीला करने वाले प्रभु न होकर प्रात स्नेह में विलाप करते एक दुखी मानव ही प्रतीत होते हैं।
Question7. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है? उत्तर- प्रस्तुत कविता में राम विलाप के द्वारा प्रमुख रूप से करुण रस की प्रस्तुति है। परन्तु लक्ष्मण मूर्छा को दूर करने के लिए संजीवनी को लाने वाले हनुमान जी के वीरत्व का वर्णन भी इस काव्य में किया गया है। कविता के प्रारम्भिक दोहे में ही हनुमान द्वारा राम व भरत को वीरता का गुणगान है। संजीवनी को लाने में विभिन्न विपत्तियों को सहन करते हुए हनुमान जी की वीरता पूर्ण सफलता तथा उसकी वीरता का व्याख्यान सुनकर रावण का क्रोधित होना सभी उसके बार रस को दर्शाने वाले चिह्न हैं। संजीवनी लाने के उपरान्त राम का हनुमान से सहयं मिलना व लक्ष्मण के होश में आने के बाद उससे सहर्ष गले लगाना सचमुच करूण रस के बाद वीरता सौन्दर्य को प्रदर्शित करने वाले गुण हैं।
Question8 “जैहर्ज अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाई गँवाई॥ बरु अपजस सहतेंड जग माहीं। नारि हानि विसेष छति नाहिं॥” भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है?
उत्तर- तुलसी जो ने ‘रामचरितमानस में रामजी के मर्यादा का बगान किया है। उनको अनुभूति एक आदर्श मानव की है। श्रीराम जी जहाँ एक ओर आदर्श पति है वहीं दूसरी ओर एक आदर्श भाई भी है। प्रस्तुत दोहे में तुलसी जी ने राम जी’ के द्वारा भातृ प्रेम की स्त्री प्रेम से अधिक महना प्रकट की है। श्रीराम जो समाज भय व लोक निंदा के भय से कहते हैं कि नारी को (पत्नी) खो देना भाई को खाने से अच्छा है क्योंकि समाज में नारियाँ तो और भी मिल सकती हैं. भाई नहीं। इस प्रकार तुलसी जी ने नारी का समाज में तच्छ स्थान दर्शाया है तथा नारी के प्रति हीन भाव का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
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