नमक पाठ सारांश | Namak Class 12 Summary In Hindi

Ncert Books के सभी Chapters को बच्चो को पड़ना और समझना चाहिए क्योंकि जब बच्चे पाठ को ध्यान से पड़ेंगे तो उन्हें उस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी। सीबीएसई बोर्ड के एनसीईआरटी किताब “आरोह भाग दो” कक्षा बारवी के भक्तिन पाठ का सारांश यानी Summary Of Namak Class 12 दिया गया ताकि आसानी से पाठ याद रहे।

Hindi Class 12 Chapter 16 Namak Summary in Hindi

‘नमक’ कहानी के माध्यम से लेखिका ने भारत-पाक विभाजन के बाद सरहद के दोनों तरफ बसे लोगों की मानसिक स्थिति का आंकलन किया है। व्यक्ति ने जिस मिट्टी में जन्म लिया है, वही स्थान विशेष उसके लिए मातृभूमि है। उसे किसी दूसरे स्थान पर कितना ही प्रेम, कितना ही वैभव और सुख सुविधाएं दे दी जाए, लेकिन वह अपनी उस मातृभूमि तथा उससे जुड़ी वस्तुओं और यादों को नहीं भूल सकता। कहानी में सिख बीबी जो विभाजन के समय से भारत में रह रही है, आज भी लाहौर को अपना वतन मानती है। पाकिस्तान जा रही साफिया से आज भी लाहौर का नमक लाने की प्रार्थना करती है। इसी बीच दो अन्य कस्टम अधिकारी हैं, जो आज एक पाकिस्तान में नौकरी करता है अपने वतन को देहली बताता है। तथा दूसरा जो भारत में नौकरी करता है अपना वतन ढाका को मानता है। लेखिका का मानना है कि राजनीतिक और भौगोलिक सरहदें वहाँ बसे लोगों के मन को प्रभावित नहीं कर पाती हैं। इन सरहदों का उनकी भावनाओं के सामने कोई महत्त्व नहीं है।

साफिया पाकिस्तान लाहौर में अपने भाइयों से मिलने जाने वाली है। उनकी मुलाकात एक सिख बीबी से होती है, जिसमें उसे अपनी माँ दिखाई पड़ती है। वह सिख बीबी विभाजन के समय से भारत में रह रही है लेकिन फिर भी अपना वतन लाहौर को ही मानती है। बातचीत के दौरान लाहौर का नाम आते ही वह वहाँ की स्मृतियों में खो जाती है। वहाँ जा रही साफिया से लाहौरी नमक लाने के लिए कहती हैं। पन्द्रह दिन लाहौर में रुकने के पश्चात साफिया सिख बीबी के लिए नमक को एक पुड़िया अपने साथ लेकर चलती है। लेकिन साफिया के भाई की नज़र में नमक को सरहद के पार ले जाना गैर कानूनी है। लेकिन साफिया के लिए नमक कोई सोना-चाँदी स्मगल की गई वस्तु या ब्लैक मार्केट की कोई वस्तु नहीं है, जिसको सरहद पार ले जाना गैरकानूनी हो। साफिया मानती है कि कस्टम वाले भी इन्सान होते हैं और इन्सानी भावनाओं को समझ कर तोहफे के रूप में नमक को सरहद पार ले जाने की अनुमति दे देंगे।

साफिया ने भारत जाने के लिए अपना सारा सामान बाँध लिया है। दो चीजें शेष है- कोन की छोटी-सी टोकरी (जिसे • सिख बीबी की तरह किसी और को तोहफे में देना था) और नमक की पुड़िया। इन्हीं दोनों चीजों को सरहद पार कराना साफिया को भी बड़ी समस्या के रूप में दिखाई दे रहा था। उसने सोचा कि नमक को फलों की टोकरी में छिपा कर लें जाएगी जिन्हें कस्टम वाले नहीं देखते। साफिया नमक की इस पड़िया को अपने शरीर में रखकर ले जाने के लिए तैयार है लेकिन ऐसा संभव नहीं है, जैसा उसने बचपन में कहानियों में सुना था। साफिया किसी भी कीमत पर नमक को अपने साथ ले जाना चाहती है। सफिया के भतीजे भतीजिओ  उससे पूछते है पुफिजान आप हिंदुस्तान में क्यों रहती है, जहा हम लोग नहीआ सकते है। उन सबके और साफ यही सरहद है। यही सरहद एक दूसरे को अपने और सगे_संबंधी से मिलने से  रोकती है। वरना सरहद के दोनो तरफ के लोग एक दूसरे से मिलने को व्याकुल रहते है।

नमक की पुड़िया को सरहद पार कराने की उधेड़ बुन में ही साफिया सो गई। स्वप्न में उसको सिख बीबी दिखाई दी तथा लाहौर की अन्य स्मृतियों ने भी उसे स्वप्न में घेरे रखा। नींद में ही करवट लेते समय साफिया के पैर कीनू की टोकरी से जा लगे रसीले, ठंडे कीनू जो भारत पाकिस्तान की एकता का मेवा है। लेखिका ने इस घटना को भारत-पाकिस्तान एकता पर बाहरी शक्तियों की चोट की ओर संकेत किया है कस्टम पर आकर जैसे ही साफिया के सामान की जाँच शुरू हुई, तो निश्चिय किया कि वह नमक को छुपा कर नहीं, बल्कि सबके सामने कस्टम अधिकारी को दिखाकर ले जाएगी। बातचीत के दौरान एक अधेड आयु के कस्टम अधिकारी ने बताया कि उसका वेतन देहली है, हालांकि वह पाकिस्तान बनने के समय से ही वहाँ रह रहा है। भूमि पर खींची गई इस सरहद का प्रभाव इस कस्टम अधिकारी को भी अपनी सीमाओं में नहीं बांध सका। उसने मुहब्ब्त (प्रेम) का पैगाम (नमक) लेकर जाने वाली साफिया को नहीं रोका। उस अधिकारी को अभी भी उम्मीद की एक नज़र दिखाई देती है कि यदि सरहद के दोनों ओर के लोगों में इसी तरह का प्यार प्रेम दोनों देशों के प्रति रहा तो एक न दिन दोनों देशों की दुष्मनी धीरे धीरे समाप्त हो जायेगी। लेखिका ने दोनो के बीच रिश्ते सुधारने की विधि की ओर भी संकेत किया है।

पाकिस्तानी पुलिस उतरी और हिंदुस्तानी पुलिस उसमें सवार हो गई। रेलगाड़ी अब भारत प्रवेश कर गई। दोनों देशों के बीच लेखिका को कोई भी अन्तर नहीं दिखता, लेकिन दोनों के हाथों में भरी हुई बंदूकों ने इन सबको अलग-अलग भौगोलिक और राजनीतिक अस्तित्व तो प्रदान कर दिया; वस्तुतः इनका लोगों पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता। भारतीय कस्टम अधिकारी को जब साफ़िया ने नमक की पुड़िया दिखाई, उसने भी इसे ले जाने की अनुमति दे दी। यह भारतीय अधिकारी बांग्लादेश की राजधानी ढ़ाका को अपना वतन मानता है। उसेन बचपन में नजरूल (बांग्ला देश का प्रसिद्ध कवि) तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर के साहित्य को समान रुचि से पढ़ा है। वह अब भी ढाका आता जाता है। दोनों तीनों देशों के आम साधारण व्यक्ति के मन पर कोई प्रभाव नहीं है। वे आज भी सरहद के पार अपनेपन को महसूस करते हैं। अमृतसर के पुल की निचली सीढ़ी के पास पहुँचकर साफिया सोचती जा रही थी कि किस व्यक्ति का वतन कौन-सा है। व्यक्ति का वतन उसके दिल और दिमाग निर्धारित करता है, राजनीतिक सीमाएँ नहीं। अमृतसर पहुँच कर सभी अधिकारी सिखों के पवित्र स्थान के सामने सिर झुकाए हुए थे, यद्यपि वे सभी सिख नहीं थे।

NCERT Summary को बच्चो को ध्यान में देते हुए बनाए गए हैं ताकि उन्हें किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े और वे सभी Students अपने परीक्षा परिणाम में अच्छे अंक ला के अपने जीवन को सफल बना पाए मुझे आप के ऊपर पूरा विश्वास है कि आप सभी अपने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे।

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