Ncert Books के सभी Chapters को बच्चो को पड़ना और समझना चाहिए क्योंकि जब बच्चे पाठ को ध्यान से पड़ेंगे तो उन्हें उस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी। सीबीएसई बोर्ड के एनसीईआरटी किताब “आरोह भाग दो” कक्षा बारवी के भक्तिन पाठ का सारांश यानी Summary Of Charli Chaplin Yani Ham Sab Chapter Class 12 दिया गया ताकि आसानी से पाठ याद रहे।
Hindi Class 12 Chapter 15 Charli Chaplin Yani Ham Sab Summary in Hindi
‘चाली चॅप्लिन यानि हम सब लेख में विष्णु खरे जी ने चार्ली चैप्लिन के भारतीय समाज पर पड़े प्रभाव को चित्रित किया है। चाली चैप्लिन में फिल्मों के माध्यम से भारतीय समाज को एक नई भावना से परिचित कर वाया है। वो भावना है दूसरों पर हंसने की अपेक्षा अपने ऊपर अर्थात अपनी गरिमा, अपने अहम और अभिमान पर हँसने की भावना, जो कि भारतीय संस्कृति में होली के त्यौहार के अतिरिक्त सामान्यतः देखने को नहीं मिलती। करुणा और हास्य के तत्वों का सांजस्य चार्ली की सबसे बड़ी विशेषता हैं जो कि भारत जैसे देश में सिद्धान्त और सौन्दर्य शास्त्र के स्तर पर भी नई है। कला स्वतन्त्र होती है उसे किसी देश, काल तथा समाज से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। चाली चैप्लिन वह महान शख्सियत हो सकती है जिसमें हम सबको अपनी छवि दिखती है, वे किसी भी संस्कृति को अपने जैसे देखते हैं क्योंकि हम सब सामान्य व्यक्ति है और सुपरमैन नहीं है। चाली चैप्लिन का यही जादू पूरे पाठ में व्याप्त है।
हास्य फिल्मों के महान अभिनेता और निर्देशक चार्ली चैप्लिन की कला का प्रभाव पूरे विश्व सिनेमा पर दिखता है। टी. वी. और फिल्मों के माध्यम से वे पूरी दुनिया को हँसा रहे हैं। लेकिन अभी भी उनके जीवन के अनेक अनछुए पक्षों की विवेचना होनी शेष हैं। चैप्लिन की फिल्मों की सबसे बड़ी सफलता यह है कि इन्हें पागल व्यक्ति से लेकर बड़े-बड़े वैज्ञानिक तक देखना पसन्द करता है। इनकी कला ने फिल्म कला की देशकाल की भाषा की भी सीमाओं को तोड़कर इसे लोकतान्त्रिक बना दिया है। चैप्लिन ने बचपन में बड़ी कठिनाइयों और समाज के तिरस्कार का सामना किया। उनकी फिल्मों में ट्रैम्प अर्थात खानाबदोश की छवि को उन्होंने अपने पूर्वजों से प्राप्त किया। बचपन की जटिल परिस्थितियों के कारण जिन जीवन मूल्यों का जन्म उसके जीवन में हुआ, उनको उसने करोड़पति बनने तक अपने से अलग नहीं होने दिया।
चाली के हास्यकला की विवेचना में दुनिया भर के विद्वान लगे हुए हैं। वे सभी चालों के हास्यकला के लिए यह निश्चित नहीं कर पाए कि यह किस सिद्धान्त पर आधारित है, क्योंकि कला सिद्धान्तों पर आधारित नहीं होती है, वह तो भावनाओं पर टिकी हुई होती है। उनकी कला बुद्धि को प्रेरित करने वाली भावना प्रभावित है। चैप्लिन की फिल्मों में त्रासदी और उससे उत्पन्न हास्य तत्वों का सामजस्य है। चालों ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ये दोनों तत्त्व उनके बचपन की दो प्रमुख घटनाओं की देन है। एक बार जब वे बीमार थे तब उनकी माँ ने उन्हें ईसा मसीह का जीवन बाइबल से पढ़कर सुनाया था। ईसा के सूली पर चढ़ने के प्रकरण तक आते-आते माँ और चालीं दोनों रोने लगते हैं। इस घटना से चैप्लिन को स्नेह, करुणा और मानवता की शिक्षा मिली। दूसरी घटना उस समय की है जब वह कसाईखाने के पास रहते थे। एक दिन एक भेड़ कसाई से छुड़ाकर भाग गई। उसे पकड़ने के लिए पीछा करते हुए कसाई कई बार फिसले और गिर पड़े। पूरी सड़क से इस पर ठहाके लगाए। अन्त में उसे पकड़ लिया गया। इस घटना चार्ली को पूरी तरह झकझोर दिया और मन मस्तिष्क पर अंकित हो गई। भेड़ की त्रासदी और उसे पकड़ते समय उत्पन्न हास्य आगे चलकर आजीवन उनकी हास्य कला का आधार बन गया।
भारतीय कला और सौंदर्यशास्त्र में अनेक रसों का वर्णन है। लेकिन एक दुख या करुणा की हास्य बदल जाने का वर्णन भारतीय संस्कृति में नहीं मिलता। अपने ऊपर हंसने की अपेक्षा हम दूसरों पर हँसने में निपुण है। भारतीय संस्कृति और चाली चैप्लिन के हास्य में यही मूलभूत अंतर है कि वह ‘दूसरो’ की अपेक्षा अपने ऊपर हँसता है और दूसरा का ऐसा करने को प्रेरणा देता है। लेकिन भारतीय संस्कृति को यह सबसे बड़ी विशेषता रही है कि वह हर अच्छी चीज को अपने में समाहित कर लेती है। उसने चाली के इस ‘विदेशी सिद्धान्त को भी आत्मसात कर लिया। चार्ली चैप्लिन की ‘अपने ऊपर हंसने की कला को फिल्मों के माध्यम से अपना लिया। फिल्मी और सामाजिक जीवन के बड़े-बड़े नायकों के बीच उन्होंने अपना स्थान सुरक्षित कर लिया। अपने जीवन में हर व्यक्ति एक दूसरे को विदूषक समझता है, जिसे चालों का भारतीय संस्करण माना। जाता है। फिल्म उद्योग में राजकपर जी ने एक ऐसी परम्परा का निर्माण किया जो युगों-युगों तक इसे प्रभावित करती रहेगी। फिल्म के नायक को झाड़ू से पीटते देखकर हमें भारतीय संस्कृति के किसी पात्र की उपेक्षा चाली चैप्लिन की याद अधिक आती है।
चाल चैंप्लिन की हास्य कला पूरी दुनिया में छाई हुई है। इसके दो कारण हो सकते हैं। चैप्लिन एक बच्चे की भाँति दिखाई पड़ते हैं। बच्चे के प्रति प्रेम व्यक्त करता हर व्यक्ति की स्वाभाविक वृत्ति होती है। उस बच्चे में हम अपने आप को देखते हैं। उसके आस-पास की चीजें, अडगे, खलनायक और दुष्ट औरतें तो हमें विदेशी लगते हैं, लेकिन इन सभी समस्याओं से घिरे चार्ली ‘हम’ बन जाते हैं। दूसरा चार्ली चैप्लिन के हाव-भाव, उनको कथा वस्तु जनमानस से मिलती जुलती है। वे सिद्धांतों की अपेक्षा भारतीय प्रेमचंद की तरह लोक संस्कृति की भावनाओं से जुड़े हुए हैं। भारतीय संस्कृति में होली के उत्सव पर लोग अपने ऊपर हँसते हैं, जब वे अपने आप को हर तरह से श्रेष्ठ, शक्तिशाली, सभ्यता, सफलता और संस्कृति का प्रतीक मानकर गर्व करते हैं। उस समय अपने पर हँसकर वे संकेत करते हैं कि व्यक्ति जीवन में यह निस्सार है। व्यक्ति जब अपने चरमोत्कर्ष पर होता है तब भी उसे चिढ़ा सकता है क्योंकि कोई भी व्यक्तिपूर्ण नहीं हो सकता। हम सभी सुपरमैन नहीं हो सकते, चालों की तरह विदूषक हैं।
NCERT Summary को बच्चो को ध्यान में देते हुए बनाए गए हैं ताकि उन्हें किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े और वे सभी Students अपने परीक्षा परिणाम में अच्छे अंक ला के अपने जीवन को सफल बना पाए मुझे आप के ऊपर पूरा विश्वास है कि आप सभी अपने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे।