बाजार दर्शन पाठ सारांश | BAZAR Darshan Class 12 Summary In Hindi

Ncert Books के सभी Chapters को बच्चो को पड़ना और समझना चाहिए क्योंकि जब बच्चे पाठ को ध्यान से पड़ेंगे तो उन्हें उस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी मिलेगी। सीबीएसई बोर्ड के एनसीईआरटी किताब “आरोह भाग दो” कक्षा बारवी के भक्तिन पाठ का सारांश यानी Summary Of Bazar Darshan Class 12 दिया गया ताकि आसानी से पाठ याद रहे।

Hindi Class 12 Chapter 11 Bazar Darshan Summary in Hindi


‘(बाजार दर्शन जैनेंद कुमार जी का महत्त्वपूर्ण वैचारिक निबंध है। इस निबंध के माध्यम से लेखक ने अर्थ शास्त्र की प्रमुख धारणा बाजार का यथार्थ रूप दिखाकर उसकी सार्थकता पर सवाल उठाया है। लेखक ने अपने परिचितों तथा मित्रों जुड़े अनुभव के आधार पर स्पष्ट किया है कि बाजार की जादुई ताकत व्यक्ति को अपना गुलाम बना लेती है। बाजार की सार्थकता वस्तुओं और आवश्कताओं के आदान-प्रदान में है, लेकिन बाजार की चमक-दमक में फंसकर व्यक्ति फिजूल खर्ची करके अनावश्यक और दिखावे की वस्तुओं के संग्रह में लग जाता है। यदि व्यक्ति भगत जी की तरह अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुएँ खरीदने बाज़ार जाए तो वह बाज़ार को और बाजार उसको लाभ पहुंचा सकता है, सार्थकता प्रदान कर सकता है, अन्यथा बाजार अर्थशास्त्र को एक अनीतिशास्त्र बना कर रख देगा। निबंध की इसी मूल भावना को लेखक ने किस्सागोई तथा दार्शनिक अंदाज में स्पष्ट किया है।



‘बाज़ार दर्शन’ जैनेंद्र कुमार का एक वैचारिक निबंध है। इसमें लेखक ने अर्थशास्त्र के एक गंभीर विषय ‘बाजार’ का विभिन्न दृष्टिकोण से अध्ययन किया है। इस निबंध के प्रथम अंश में लेखक ने आम व्यक्ति की बाजार से प्रभावित होने की प्रवृति को उल्लेखित किया है कि किस प्रकार व्यक्ति अपनी बाजार की चमक-दमक से प्रभावित होकर जरूरत से अधिक सामान खरोदता है, फिजूल खर्ची करता है। व्यक्ति इस दिखावे को स्त्रीत्व की आड़ में स्वयं का बचाव बड़ी खूब सुरती से करता है। दूसरा व्यक्ति के मन में छूपी ‘मनी बैग’ की पावर का प्रयोग करने की प्रवृत्ति को दिखाया जाता है। पैसे की पावर उसे तभी सार्थक नज़र आती है, जब वह उस पैसे से कोठी बंगला, माल-मकान खरीद लेता है; क्योंकि व्यक्ति का बैंक-वैलेंस कोई देख नहीं सकता और यही सब दिखाने के लिए व्यक्ति बाजार से अनचाही वस्तुएं खरीदने के लिए विवश हो जाता है। लेखक ने इसी अंश में एक दूसरी तरह के लोगों का भी जिक्र किया है जो लोग पैसे को खर्च करने की अपक्षा पैसे की जोड़कर रखने में ही पैस की सार्थकता देखते हैं।


लेखक ने इस अंश में बाजार की महत्ता पर प्रकाश डाला है कि किस प्रकार बाजार व्यक्ति को अपने मकड़जाल में फंसा लेता है और बाजार गए व्यक्ति को अपना मनी बैग खाली करने पर विवश कर देता है। बाजार में एक सम्मोहन शक्ति है, जिसके मोहपाश में बंधकर सब कुछ भूल जाता है। वह बाजार से सबकुछ खरीद लेना चाहता है। कुछ भी शेष छोड़ता नहीं चाहता, भले ही उसके पास किराए के पैसे बचें या न बचें।लेखक जैनेन्द्र कुमार ने इस अंश में बाजार के जादू का वर्णन बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से किया है। बाजार जादू का प्रभाव कंवल उन लोगों पर होता है जिनकी जेब भरी हो तथा मन खाली हो। यदि आपका मन खाली है तो बाजार की अनेक अनावश्यक वस्तुओं का निमन्त्रण आपको बर्बश अपनी ओर खींच लाएगा। बाजार जाते समय यदि आपका मन खाली नहीं है, तो बाजार की चमक-दपक का आप पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं, जैसे पानी पीकर जाने वाला व्यक्ति लू की तपन से प्रभावित नहीं होता। बाजार से आपको संतुष्टि, तृप्ति और सच्चा लाभ प्राप्त हो सकता, यदि आप अपनी आवश्यकता के अनुसार बाजार से सामान खरीदते हैं, बाजार की आवश्यकता के अनुसार नहीं।


प्रस्तुत भाग में लेखक एक दम दार्शनिक बने बैठे हैं। यहाँ पर लेखक ने मन को खाली करने का अर्थ समझाने का प्रयास किया है। मन को खाली करने का तात्पर्य-मन को शून्य बनाना नहीं है, क्योंकि शून्य होने का मतलब है-परमात्मा से एकात्मकता स्थापित होना। इच्छाओं को दबाना तथा ठाठ बाट देखकर मन को बंद करना जड़ता है, क्योंकि आंख फोड लेने से दिखना बंद नहीं होता फिर भी मन की आँखों से देखा जा सकता है। इसी इन्द्रियों का नियन्त्रण मन के द्वारा होता है, सभी इन्द्रियों का नियन्त्रण करने की अपेक्षा यदि केवल मन पर नियन्त्रण कर लिया जाए तो फिर किसी योग की किसी पूर्णता की आवश्यकता नहीं होगी। मन को बलात न रोक बल्कि उसकी भी सुनकर अपनी आवश्यकतानुसार यदि बाजार में खुलेमन से जाया जाए तो आप बाजार के जादू से बचकर ऐसी वस्तुएं वहां से घर ला सकते हैं, जिनसे न केवल हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होगी, बल्कि आनन्द भी प्राप्त होगा।


लेखक ने चूरन बेचने वाले भगत जी का उदाहरण दिया है वे ऐसे व्यक्ति है जिन पर वर्षों से आज तक बाजार के जादू का असर पड़ता दिखाई नहीं दिया। छह आने की कमाई होने के बाद बचे हुए चूरन को वे बच्चों को मुफ्त बाँट देते हैं। ऐसा नही है कि उसका चूरन बेकार है, या उसके चूरन की बाजार में मांग नहीं है, उसका चूरन हाथों हाथ बिक जाता है लेकिन फिर भी वह चूरन से केवल चार आने ही कमाता है। उसने अपने मन पर नियन्त्रण पा लिया है, अपनी आवश्यकताओं को खुलेपन की छूट नहीं दे रखी है। उसका मन अडिग है। इसी कारण पैसा उसके आगे आकर भीख मांगता है कि मुझे ले लो, लेकिन वह व्यक्ति पैसे को ठोकर मारकर आगे निकल जाता है और बाजार के जादू से अप्रभावित रहता है।
पैसे की व्यंग्य-शक्ति का प्रभाव दो अलग-अलग व्यक्तियों पर प्रभाव भी अलग-अलग होता है। पैदल चलते हुए लेखक के पास से गुजर रही मोटर गाड़ी ने लेखक को अपने माँ-बाप को धिक्कारन पर विवश कर दिया कि क्यों मेरे पास भी यह सब कुछ नहीं है। दूसरी तरफ चूरन बेचने वाला भगत जी के आगे पैसे की व्यंग्य शक्ति खुद नतमस्तक नजर आती है। भगत जी निर्बल नहीं है क्योंकि संचय और वैभव का प्रभाव उन पर नहीं है; निर्बल ही धन के सामने झुकता है। भगत जी बाजार में जाते हैं, सब कुछ देखते हैं, लेकिन अटकते वहीं जाकर हैं जहाँ पर उनको उनकी जरूरत का सामान मिलता है कंवल पंसारी की दुकान पर। उनको चूरन में डालने के लिए जीरा और काला नमक चाहिए। जिस दुकान से उनकी इस आवश्यकता की पूर्ति होती है, वे केवल उसी दुकान पर रुकते हैं। उनके लिए शेष बाजार निस्सार है, क्योंकि चाँदनी चौक का रोष बाजार उनकी आवश्यकता पूर्ति नहीं करता।

अंतिम भाग में लेखक ने अर्थशास्त्र को अनीतिशास्त्र कहकर बाजार पर करारा व्यंग्य कसा है। चूरन वाले भगत जी की बाजार को सार्थकता देते हैं। लेखक जैसे लोग बाजार की व्यंग्य शक्ति को बढ़ावा देते हैं। व्यक्ति के पास दिखावे का सामान जितना ज्यादा बढ़ता जाएगा वह समाज में उतना ही अपने आप को अलग-थलग पाता जाएगा। बाजार एक स्थान होना चाहिएजहां लोगों की आवश्यकताओं का आदान प्रदान हो। लेकिन अर्थशास्त्र का आधार है अधिक से अधिक लाभ कमाना। एक की हानि तो दूसरे का लाभ अर्थात झूठ, कपट तथा शोषण अर्थशास्त्र के इस आधार पर प्रचार-प्रसार बाजार के माध्यम से समाज में फैलेगा, समाज से सद्वृत्ति, मेल मिलाप, सहनशीलता उतनी ही घटती जाएगी।

NCERT Summary को बच्चो को ध्यान में देते हुए बनाए गए हैं ताकि उन्हें किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े और वे सभी Students अपने परीक्षा परिणाम में अच्छे अंक ला के अपने जीवन को सफल बना पाए मुझे आप के ऊपर पूरा विश्वास है कि आप सभी अपने परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करेंगे।

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